Posts

Showing posts from December, 2017

सीबीपीएसीएस दिल्ली में गैर-शिक्षण रिक्तियां

Advt। सं। 04/2017 सीपीपीएसीएस, खेरा दबर, नजफगढ़, नई दिल्ली -110073 में नियमित और कार्यकाल के लिए नियुक्तियों के लिए निर्धारित प्रायोगिक आवेदन पत्रों में उल्लिखित पदों के लिए आमंत्रित किए गए हैं। निर्धारित शुल्क के साथ विधिवत रूप से भरा आवेदन पत्र और आत्म-प्रमाणित दस्तावेजों को इस विज्ञापन के प्रकाशन के 15 दिनों के भीतर निदेशक-प्रधान, चौधरी ब्रह्म प्रकाश आयुर्वेद चरक संस्थान, खेड़ा डाबर, नई दिल्ली -110073 के कार्यालय तक पहुंचने चाहिए। पोस्ट का नाम, विषय और श्रेणी को लिफाफे पर लिखा जाना चाहिए। आवेदन पत्र www.cbpacs.com से डाउनलोड किया जा सकता है। रिक्तियां: सीरियल नंबर पोस्ट श्रेणी का पोस्ट श्रेणी का नाम 1. वैद्य I / सी ओपीडी 04 03-यू.आर 01-ओबीसी (दिल्ली) 2 कैजुअल मेडिकल ऑफिसर 06 04-यू.आर. 01-ओबीसी (दिल्ली) 01-SC 3 निवासी चिकित्सा अधिकारी 01 01-यूआर 4 पंचकर्म वैद्य 04 03-यूआर 01-ओबीसी (दिल्ली) 5 क्लिनिकल रजिस्ट्रार (कार्यकाल आधारित एक के लिए नियुक्ति अधिकतम तीन वर्ष) 14 02-SC 01-एसटी 03-ओबीसी (दिल्ली) 08-यू.आर. 1. वैद्य I / सी ओपीडी, कैसौली मेडिकल ऑफिसर और रेसिडेंट मैडिकल ऑफिसर

AIAPGET PRACTICE QUESTION

'हिक्का ' लक्षण है- गुद विद्रधि का  बस्ति  विद्रधि का  नाभि  विद्रधि का  प्लीहा  विद्रधि का  सुश्रुत  द्वारा वर्णित विद्रधि   का एक  लक्षण विशेष है  अपान वायु का निरोध   मल का निरोध  मूत्र का निरोध  तीव्र ज्वर  रक्तमोक्षण  के पश्चात  हमे रक्षा करनी   चाहिए   अग्नि  की  वायु की रस की धातु की                           GET ANSWER

बस्ति प्रदेश में कौन से स्नायु है | सुषिरा पृथु प्रतानवती more question

बस्ति प्रदेश में कौन से स्नायु है | सुषिरा पृथु प्रतानवती   वृत्ता more question

'यदा तु मनसिकलान्ते कर्मात्मन क्लमन्विता : ' लक्षण है.... | श्रम स्वप्न व्यायाम निद्रा question1

'यदा तु मनसिकलान्ते कर्मात्मन क्लमन्विता :  ' लक्षण है.... | श्रम स्वप्न  व्यायाम निद्रा चरक संहिता  'परिहारवर्तिक ' टीका  लिखी  है | जेज्जट राणचन्द्र स्वामी कुमार आषाढ़ वर्मा                                more question

कफ के गुण ,वात के गुण,पित्त के गुण

          कफ के गुण   गुरुशीत मृदु स्निग्ध मधुरस्थिर पिच्छिला |  श्लेष्मण : प्रशमं  यान्ति विपरीतगुणैरर्गुणा :| |         च सू ० (१/६०)  स्निग्ध: शीतो  गुरुर्मन्द : श्लक्ष्णों  मृत्स्न : स्थिर : कफ:         (अ ० ह्र ० सू ० (१/१२   ) कफ    स्निग्धो गुरुः  श्वेत : पिच्छिल शीतलस्तथा |  तमोगुणाधिक : स्वादुर्विदग्धो लवणों भवेत् | |               शा ०  पू  ०  (५/२९ ) वात के गुण  रूक्ष : शीतो  लघु : सूक्ष्मश्चलोयाथ विशद: खर :|  विपरीतगुणैर्द्रव्यैर्मारुतः   संप्राशम्याति  ||                               च ० सू ० (१/५८ ) अव्यक्तो व्यक्त कर्मा   च रूक्ष:  शीतो  लघु :खर:|  तिर्यग्गो द्विगुणश्चैव  रजो बहुल एव च||                              सू ०  नि ० १/१७   तत्र रूक्ष : शीतो  लघु :सूक्ष्मश्चलोथानिल :|                       अ ० ह्र ० सू ० (१/१४ ) पित्त  के गुण  सस्नेहमुष्णं तीक्ष्णं च दरवमम्लं सरं  कटु |  विपरीतगुणै: पित्त्ं  द्रव्यै राशु प्रशाम्यति | |                            च सू ० (१/५९ ) औष्ण्यतैक्ष्ण्यरौक्ष्यलाघवैशघगुण लक्षणं पित्तं | |               

तुण्डीकेरी चिकित्सा है ? (२०१०) छेदन भेदन छेदन लेखन छेदन भेदन

तुण्डीकेरी चिकित्सा है ?     (२०१०) छेदन  भेदन  छेदन लेखन  छेदन भेदन  शोष रोग का निदानार्थकर रोग है ?  (२०१०) कास  ज्वर ->रक्तपित्त  प्रतिश्याय ->कफ ->क्षय   २-३     more question