विकारो धातुवैषम्यं , साम्य प्रकृतिरुच्यते | सुखसंज्ञकमारोग्यं विकारो दुःखमेव च ||
विकारो धातुवैषम्यं , साम्य प्रकृतिरुच्यते |
सुखसंज्ञकमारोग्यं विकारो दुःखमेव च ||
त्रिधातु (त्रि दोष ) एवं सात धातु ( रसादि ) की विषमता को रोग कहते है इनकी समता का प्रकृति है | आरोग्य ही सुख कहते है तथा विकार (विषमता ) का नाम दुःख है |
Ayurveda the saga of preventive medicine
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