हिताहितं सुखं दु:खमायुस्तस्य हिताहितम् | मानं च तच्च् यत्रोत्तमाययुर्वेद : स उच्चते||
Ayurveda the saga of preventive medicine
Ayurveda the saga of preventive medicine
आयुर्वेदव्याखा:-- हितकर , अहितकर ,सुखकर दु:खकर (करके ) आयु ( चार प्रकार की ) होती है |उस आयु के लिये हितकर ,अहितकर (सुखकर दु :खकर ) क्या होता है | आयु का मान क्या है उसका विवऱण जिसमे है | वह आयुर्वेद कहलाता है |
आयुर्वेद का प्रयोजन-
१ स्वस्थ मनुष्य के स्वास्थय की रक्षा करना
२ रोगी मनुष्य के रोग का निवारण करना
Ayurveda the saga of preventive medicine
हिताहितं
सुखं दु:खमायुस्तस्य हिताहितम् |
मानं च तच्च् यत्रोत्तमाययुर्वेद : स उच्चते||
मानं च तच्च् यत्रोत्तमाययुर्वेद : स उच्चते||
(च० सं ० सू ० )
Ayurveda the saga of preventive medicine
आयुर्वेदव्याखा:-- हितकर , अहितकर ,सुखकर दु:खकर (करके ) आयु ( चार प्रकार की ) होती है |उस आयु के लिये हितकर ,अहितकर (सुखकर दु :खकर ) क्या होता है | आयु का मान क्या है उसका विवऱण जिसमे है | वह आयुर्वेद कहलाता है |
आयुर्वेद का प्रयोजन-
प्रयोजनं चास्य (आयुर्वेदस्य) स्वस्थस्य स्वस्थास्यरक्षणमातुरस्य विकारप्रशमनं च । (च ० सु० )
इहा खल्वायुर्वेदप्रयोजनं -व्याध्यु सृष्टनामं व्याधिपरिमोक्ष : स्वस्थस्यरक्षणं च । (च ० सु० )
आयुर्वेद शास्त्र के के दो प्रयोजन है१ स्वस्थ मनुष्य के स्वास्थय की रक्षा करना
२ रोगी मनुष्य के रोग का निवारण करना
Ayurveda the saga of preventive medicine
Comments
Post a Comment